ॐ सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि ॥
जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दुःखको समान समज़कर, युद्धके लिए तैयार हो जा; इस प्रकार युद्ध करनेसे तू पापको प्राप्त नहीं होगा ।
ॐ सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि ॥
जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दुःखको समान समज़कर, युद्धके लिए तैयार हो जा; इस प्रकार युद्ध करनेसे तू पापको प्राप्त नहीं होगा ।