क्या पा ली तेरी तूने आज़ादी!
क्या छिन के ली तूने आज़ादी?
तय तो करो कैसी हो आज़ादी!
किस बात की चाहिए आज़ादी?
क्या ख़ुद की बंदगी से आज़ादी !
या मन की गंदगी से आज़ादी !!
क्या बेसुमार नफरतों से आज़ादी !
या दकियानूसी सोचों से आजादी!!
क्या तेरी झूठे वादों से आज़ादी !
या तेरी टुच्ची इरादों से आज़ादी !!
क्या तेरी कर्तव्यहीनता से आज़ादी !
या तेरी बेसुमार कृतघ्नता से आज़ादी !!
क्या तेरी अनुशासनहीनता से आज़ादी!
या तेरी कोरी कपट बहानो से आज़ादी!!
क्या राह मे बिछी बाधाओं से आज़ादी !
या मेहनतकश आशाओं से आज़ादी !!
क्या पतंग का अपने डोर से आज़ादी!
या उसके बाधाओं के छोर से आजादी!!
कहते हो छिन के लेंगे मेरी आज़ादी?
कहो क्या पा ली ये सब से आज़ादी!!
लेखक – शशि कुमार आँसू @shashiaansoo
Nice blog
LikeLike